Nidhi Saxena

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जिंदगी मेरी या मेरे अपनो की (भाग 3)


जिंदगी मेरी या मेरे अपनो की(भाग 3 )

शादी जियो तो कितना खूबसूरत शब्द ,
और ना जियो तो एक शब्द अरमान और,
अरमान कहां किसी के पूरे हुए????

शादी के बाद हम हर एक अविश्वसनीय सच को अपनाते गए ।
और अपने अरमानों को झुठलाते गए क्योंकि ,
अरमान कहां किसी के पूरे हुए?????

धीरे धीरे लगा पता शादी से अब तक की जिंदगी ,
कर्ज की माला में पिरोई हुई थी , 
और ये वो माला थी जो अभी बन ही रही थी।
फिर भी दिल में अरमान सजा रहे थे ,
एक दिन ये सब खत्म होगा और जिंदगी अच्छे से जिएंगे ।
😏 लेकिन अरमान कहां किसी के पूरे हुए ????

मायके में कुछ बता ना पाए ,
क्योंकि पिता हमारे बिस्तर पर थे ।

और किसी से तो क्या ही कहते ।
अच्छी जिंदगी के अरमान में लोगो के आगे हाथ फैलाए ।

लेकिन अरमान कहां किसी के पूरे हुए????
एक बेटी हुई हमारे फिर अरमान सजाया शायद ,
अब सब सही होगा।
😁😁लेकिन अरमान कहां किसी के पूरे हुए ।

फिर एक दिन आया जब बेटी के लिए दूध और छत दोनो नही ।
तब सब्र का बांध टूटा और मायके में बहन भाई को सब सच बतलाया।
तब भाई मम्मी ने हड़काया ऐसा चला तो हम अपनी बेटी ले जायेंगे ।
फिर एक अरमान सजाया शायद अब सब सही होगा ।
लेकिन अरमान कहां किसी के पूरे हुए???
और फिर से एक हद पार की सबने मिल कर।
मायके में मेरे पिता के शरीर को अंतिम यात्रा पर ले जाया जा रहा था ।
और वहां मुझसे मकान के काग़ज़ पर हस्ताक्षर कराया जा रहा था ।
और तब मैं एक निशब्द बुत बन कर हस्ताक्षर कर अपने मायके अपने पिता के अंतिम दर्शन करने गई😭😭😭😭😭
एक अच्छी शादी शुदा जिंदगी के अरमान मेरे पिता के साथ जल गए ।
क्योंकि अरमान पूरे होने की अब कोई आशा नहीं थी।
😭😭😭😭😭😭😭😭😂😂😂😂😂😂
 अब लड़ाई शुरू हुई बेटी के अच्छे भविष्य को लेके ।
और उसके लिए अरमान सजाने शुरू किए।
फिर एक हद पार हुई जब पता चला कि मेरे शरीर को बेचने की तैयारी हो रही है ।
जब मेरी आत्मा जागी और मैं वहां से भागी ।
भाग कर जाती कहां क्योंकि मायके में तो सब अभी पिता के शोक से बाहर नहीं आए थे ।
फिर एक ही दर दिखा मेरे कान्हा का जा कर उसके दर पर रास्ता मांगा तब ना जाने कहां से भाई का मित्र वहां आया और मुझे घर लेके गया।
नही भूल सकती वो रात कैसे हिम्मत कर वहां से निकली थी।
और जब ना निकलती तो शायद कभी ना निकल पाती 
और तब पक्का किया अब नही जाना है ।
और संबंध विच्छेद करना है ।
अपनी बेटी को अपने साथ रखना है ।
फिर अरमान सजाए नौकरी कर बेटी को खुद पालूंगी ।
😂लेकिन फिर वही अरमान पूरे ना हुए ।
और भाई भाभी ने बोला बस आप बेटी को अच्छी परवरिश दो बाकी हम है ।
और वो अपना वादा अच्छे से निभा रहे है ।
जो उसने न निभाए जिसने सात वचन लिए।
अब बस बेटी की अच्छी जिंदगी के अरमान सजा रही हूं ।
देखती हूं ये पूरे होते है या नही ।

स्वरचित : निधि सक्सैना 




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3 Comments

Raziya bano

07-Dec-2022 10:22 AM

Bahut khub

Reply

Gunjan Kamal

07-Dec-2022 08:51 AM

बहुत खूब

Reply

Abhinav ji

07-Dec-2022 08:31 AM

Nice

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